Create your Account
Breaking News
ਭਾਰੀ ਮੀਂਹ ਕਾਰਨ ਯਾਤਰੀਆਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦੇ ਮੱਦੇਨਜ਼ਰ ਸ੍ਰੀ ਹੇਮਕੁੰਟ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਜੀ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਲਈ ਬੰਦ
ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਯੋਗ ਦਿਵਸ : ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਮੋਦੀ ਨੇ ਦਿੱਤੀ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਵਧਾਈ, ਕਿਹਾ- ਯੋਗ ਨੂੰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦਾ ਬਣਾਓ ਹਿੱਸਾ
आवारा कुत्तों को लेकर मचा बवाल, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिए सख़्त आदेश!

(सुरभि गैरोला)
मोहाली : मेनका गांधी, जो एक प्रसिद्ध
पशु अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं, उन्हों ने दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त आदेश की कड़ी आलोचना की है।
सोमवार को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में आवारा
कुत्तों की समस्या को "बेहद गंभीर" बताते हुए प्रशासन को सभी कुत्तों को
पकड़कर शेल्टर में रखने का आदेश दिया। माननीय कोर्ट ने यह भी कहा कि कुत्तों को
सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाए और नसबंदी व टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, एक हेल्पलाइन
स्थापित करने का निर्देश दिया गया ताकि कुत्तों के काटने की घटनाओं की तुरंत
रिपोर्ट हो सके।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों को आठ
सप्ताह का समय दिया है, माननीय हाई कोर्ट के इस
आदेश पर मेनका गांधी, जो एक प्रसिद्ध पशु अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय
मंत्री हैं उन्हों ने "अप्रायोगिक", "आर्थिक रूप से
अव्यवहारिक" और "पर्यावरण संतुलन के लिए हानिकारक" बताया।
भारत में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या आज एक गंभीर समस्या
बन चुकी है। इनके काटने से रेबीज जैसी घातक बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कुछ
दावों के मुताबिक, 2024 में भारत में
कुत्तों के काटने के 37 लाख से अधिक
मामले सामने आए,
जिन में रेबीज से
54 लोगों की मृत्यु
होने का दावा किया गया है।
माननीय कोर्ट के इस फैसले पर मेनका गांधी ने कहा कि दिल्ली
में लगभग 3 लाख आवारा
कुत्ते हैं। इन सभी को सड़कों से हटाकर शेल्टर में रखने के लिए 3,000 शेल्टर बनाने
होंगे, जिनमें जल निकासी, पानी, शेड, रसोई और चौकीदार
की सुविधा हो। इसके लिए लगभग 15,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जो दिल्ली सरकार
के पास उपलब्ध नहीं है।
कुत्तों को खिलाने के लिए हर हफ्ते 5 करोड़ रुपये की
अतिरिक्त लागत आएगी, जिससे जनता में विरोध की संभावना है। इतना ही नहीं मेनका
गांधी ने चेतावनी दी कि कुत्तों को हटाने से पारिस्थितिक असंतुलन पैदा होगा। उनके
अनुसार, अगर दिल्ली से
कुत्तों को हटाया गया, तो 48 घंटों के भीतर गाजियाबाद, फरीदाबाद जैसे
आसपास के क्षेत्रों से 3 लाख नए कुत्ते
दिल्ली में आ जाएंगे, क्योंकि वहां भोजन उपलब्ध है। मेनका ने कुत्तों को
"चूहा नियंत्रण जानवर" बताया, जो पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी हैं।
इसके अलावा मेनका गांधी ने कोर्ट के इस फैसले पर मेनका
गांधी ने कहा कि दिल्ली में लगभग 3 लाख आवारा कुत्ते हैं। इन सभी को सड़कों से हटाकर शेल्टर
में रखने के लिए 3,000 शेल्टर बनाने
होंगे, जिनमें जल निकासी, पानी, शेड, रसोई और चौकीदार
की सुविधा हो। इसके लिए लगभग 15,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जो दिल्ली सरकार
के पास उपलब्ध नहीं है।
माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की वैधता पर भी सवाल
उठाया। उन्होंने कहा कि एक महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने इस
मुद्दे पर "संतुलित निर्णय" दिया था। अब दो माननीय जजों की बेंच ने
"सबको पकड़ो" का आदेश दिया, जो उनके अनुसार अव्यवहारिक है। उन्होंने पूछा
कि दोनों में से कौन सा निर्णय मान्य है। मेनका ने इस आदेश से पशु प्रेमियों और
प्रशासन के बीच टकराव की आशंका भी ज़ाहिर की है।
मेनका गांधी ने जोर दिया कि सरकार के पास पहले से ही एक 14-सूत्रीय योजना है, जिसमें नसबंदी, रेबीज और
डिस्टेंपर के टीकाकरण, पुनर्वास पर रोक और पशु जन्म नियंत्रण एबी ABC केंद्रों की
बेहतर निगरानी शामिल है। उन्होंने सुझाव
दिया कि ABC केंद्रों को
विशिष्ट क्षेत्रों में संचालित किया जाए, केवल पशु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त
संगठनों द्वारा चलाया जाए, और स्थानीय निवासियों की समितियों द्वारा निगरानी की जाए।
मेनका ने यह भी दावा किया कि 70% कुत्तों के
काटने के मामले पालतू कुत्तों से और 30% आवारा कुत्तों से होते हैं। इसलिए, पालतू कुत्तों की
अनियमित बिक्री पर भी रोक लगनी चाहिए। माननीय सुप्रीम
कोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली में इंडिया गेट पर पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं
ने प्रदर्शन किया, जिसमें मेनका गांधी भी शामिल थीं। पुलिस ने कई
प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
हालाँकि दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
करने की बात कही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या
"विशाल" हो चुकी है और इसे व्यवस्थित तरीके से लागू करने के लिए जल्द ही
नीति बनाई जाएगी। इस मामले पर
सांसद राहुल गांधी ने भी आवारा कुत्तों पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर
प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का माननीय
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा है कि ये दशकों से चली आ रही मानवीय और साइंटिफिक
पॉलिसी से पीछे ले जाने वाला आदेश है. ये बेज़ुबान आत्माएं कोई 'समस्या' नहीं हैं, जिन्हें मिटाया
जा सके. आश्रय,
नसबंदी, टीकाकरण और
सामुदायिक देखभाल के जरिये सड़कों को बिना किसी क्रूरता के सुरक्षित रखा जा सकता
है.
इस पूरे मुद्दे पर समाज में दो धड़े साफ दिखाई दे रहे हैं—एक जो कुत्तों की
सुरक्षा चाहता है, और दूसरा जो मानव सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। इस विवाद
का समाधान सरकार, पशु कल्याण संगठनों और नागरिकों के साथ मिलकर करना होगा ताकि
जीवों ओर इंसानो दोनों के लिए असुविधा उत्त्पन न हो।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *