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स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खाने होंगे बंद! नगर निगम के फैसले पर मचा बवाल

मोहाली : महाराष्ट्र में 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के
अवसर पर नगर निगमों द्वारा मांस की दुकानों और बूचड़खानों को बंद करने के आदेश
जारी किया गया हैं, जिसके बाद एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है. कई लोग इस प्रतिबंध को
व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला बता रहे है तो कुछ ने इसे सामाजिक विभाजन और शाकाहार
थोपने की कोशिश बताया।
महाराष्ट्र के
छत्रपति संभाजीनगर, कल्याण-डोंबिवली, मालेगांव और नागपुर जैसे शहरों में
नगर निगमों ने 15 अगस्त को मांस की बिक्री
और बूचड़खानों को बंद करने का आदेश दिया है। यह प्रतिबंध कुछ स्थानों पर 16 अगस्त यानि (जन्माष्टमी) के दिन और नगर निगमों द्वारा
छत्रपति संभाजीनगर में यह प्रतिबंध 20 अगस्त को भी
लागू होगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ महाराष्ट्र म्युनिसिपल कॉरपोरेशन
एक्ट, 1949 के तहत कार्रवाई की
चेतावनी दी गई है।
दरअसल नगर निगमों
का इस मामले में कहना है की यह आदेश 1988 से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय अवसरों और धार्मिक पर्वों के
दौरान सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना है। 15 अगस्त को गोकुल अष्टमी (जन्माष्टमी) के साथ मेल खाने के
कारण भी यह निर्णय लिया गया।
स्वतंत्रता दिवस
पर मीट बैन के आदेश को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
इस मामले में ऑल इंडिया
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम को "असंवैधानिक"
और लोगों की स्वतंत्रता, निजता, आजीविका,
संस्कृति, पोषण और धर्म के अधिकारों की उल्लंघन बताया हैं। उन्होंने
सवाल उठाया कि मांस खाने और स्वतंत्रता दिवस मनाने का क्या संबंध है।
महाराष्ट्र के
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने प्रतिबंध को गलत ठहराया, उनका कहना था कि यह धार्मिक अवसरों जैसे अशाढ़ी एकादशी या
महावीर जयंती के लिए समझ में आता है, लेकिन स्वतंत्रता
दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसरों पर नहीं।
शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने नगर निगम के आयुक्त को निलंबित करने
की माँग तक कर डाली, उन्होंने कहा कि लोगों का
खान-पान उनकी स्वतंत्रता है।
कांग्रेस और
समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला बताया। जबकि
बीजेपी नेताओं ने इस आदेश का समर्थन किया है, BJP का मानना है की यह 1988 के सरकारी आदेश के तहत है और पहले भी कांग्रेस और अन्य
सरकारों के दौरान लागू हुआ था। शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) का कहना है कि फ़िलहाल
राज्य सरकार ने इस प्रतिबंध को मंजूरी नहीं दी और विपक्ष पर सरकार को बदनाम करने
की कोशिश कर रहा है।
गौरतलब है की यह
प्रतिबंध धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखकर लगाया गया है, लेकिन इसे स्वतंत्रता जैसे राष्ट्रीय अवसर से जोड़ने पर
विवाद बढ़ गया।
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