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रेसलर सुशील कुमार की जमानत हुई रद्द, हफ़्ते के भीतर सरेंडर करने का आदेश जारी, जाने पूरा मामला!

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  • 13 Aug, 2025
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(सुरभि गैरोला)

मोहाली : माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज पहलवान सुशील कुमार की जमानत रद्द कर दी है। और उन्हें एक सप्ताह के भीतर सरेंडर करने के लिए कहा।

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज पहलवान सुशील कुमार की जमानत रद्द कर दी है। वे जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियन सागर धनखड़ की हत्या के मुख्य आरोपी हैं। न्यायमूर्ति संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने 4 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत के फैसले को रद्द करते हुए सुशील कुमार को एक सप्ताह के भीतर सरेंडर करने के लिए कहा है। सागर धनखड़ के पिता अशोक धनखड़ ने हाईकोर्ट के जमानत के आदेश को चुनौती दी जिसके बाद ये फैसला आया।  

गौरतलब है की सुशील कुमार भारत के सबसे प्रसिद्ध पहलवानों में से एक हैं, जिन्होंने कुश्ती में अपने शानदार प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया। सुशील ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक और 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतकर लगातार दो ओलंपिक में व्यक्तिगत पदक हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनने का गौरव प्राप्त किया।

सुशील कुमार ने अपने करियर में कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कीं हैं। जिसमें पहले न. पर आता है, 2008 बीजिंग ओलंपिक में जिसमें 66 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीता। फिर 2010 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में  मॉस्को में स्वर्ण पदक जीतकर विश्व खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने। इसके साथ ही 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक मिला, जिसने उन्हें भारत का गौरव बनाया। सुशील कुमार ने कॉमनवेल्थ गेम्स में 2010, 2014 और 2018 में स्वर्ण पदक जीता।

इसके अलावा पुरस्कारों की बात करें तो

सुशील कुमार को अर्जुन पुरस्कार प्राप्त हैं और 2008-09 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी मिला। 2021 में सुशील कुमार का नाम एक विवाद में सामने आया, जब उन पर जूनियर पहलवान सागर धनखड़ की हत्या का आरोप लगा। यह घटना 4 मई 2021 को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में हुई, आरोप है कि ये हमला सुशील कुमार और उनके साथियों ने संपत्ति विवाद के चलते किया गया। सागर धनखड़ हरियाणा के रोहतक का पहलवान था। हमले के बाद गंभीर रूप से घायल हो गया। उसकी मौत  से मस्तिष्क में हुई  क्षति के कारण हुई। सागर धनखड़ के अलावा उसके दो साथी भी घायल हुए।
 
इस घटना के बाद सुशील कुमार 18 दिनों तक पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा में छिपते रहे। 23 मई 2021 को दिल्ली पुलिस ने उन्हें मुंडका इलाके से गिरफ्तार किया।
 
गिरफ्तारी के बाद उनसे उनकी रेलवे की नौकरी से निलंबित कर दिया गया। उन्होंने न्यायिक हिरास में भेजा गया। अक्तूबर 2022 में IPS की कई धाराओं और आर्म्स एक्ट के तहत आरोप तय किए गए। सुशील को मई 2021 में गिरफ्तार किया गया और 2023 तक वह जमानत पर रिहा थे। फ़िलहाल आज सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत रद्द कर दी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।

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